यूक्रेन: ना नाटो और ना ही पुतिन! युद्ध नहीं बल्कि वर्ग युद्ध!

यूक्रेन के नियंत्रण के लिए 30 साल से अधिक पुराना संघर्ष अब पूरे क्षेत्र में खुले युद्ध में क्यों फूट पड़ा है? उसी कारण से जिससे दुनिया भर में जीने का खर्च आसमान से ऊपर चला गया है। पूंजीवादी व्यवस्था के ठहराव का मतलब है कि उसका आर्थिक संकट गहराता जा रहा है (और यह सिर्फ महामारी के कारण नहीं है)।

30 से अधिक वर्षों से यूक्रेन ने दो मुख्य भाषाई समूहों के बीच सत्ता संघर्ष देखा है जो देश की गिरती दौलत के अधिकांश पर काबिज 40 के क़रीब कुलीनों के माध्यम से चलाया जा रहा था। और संघर्षरत गुटों के पीछे खड़े हैं दोनों पश्चिमी और रूसी साम्राज्यवाद । यूएसएसआर के पतन के बाद, नाटो 17 से 30 राज्यों तक फैल गया है और वह पहले ही बाल्टिक राज्यों में रूस के दरवाजे पर अपने टैंक पार्क कर चुका हैं । 2004 से नाटो और यूरोपीय संघ दोनों यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिम द्वारा समर्थित मैदान आंदोलन द्वारा 2014 में रूस समर्थक राष्ट्रपति को उखाड़ फेंके जाने के बाद पुतिन ने कार्रवाई की। उसने डोनबास में रूसी अलगाववादियों की मदद की और क्रीमिया को "फिर से ले लिया"। उसकी मंशा यूक्रेन को कमजोर रखने की थी लेकिन नाटो की हथियारों की आपूर्ति ने उसकी सेना को नई ताकत दी। लिहाजा सेना की तैनाती जो वर्तमान संकट का कारण बनी ।

रूस अपने सैनिकों को हटाए, पश्चिमी की इस मांग के जवाब में पुतिन ने प्रति-मांग रखी कि यूक्रेन नाटो से बाहर रहे। किसी भी पक्ष द्वारा अपनी मांग छोड़ने की विफलता के परिणामस्वरूप पुतिन ने आक्रमण करने का निर्णय लिया। यूक्रेन के नागरिक एक संकटग्रस्त पूंजीवादी व्यवस्था का "कलैटरल शिकार" हैं। अब किसी भी पक्ष के पास रियायतों के लिए कोई जगह नहीं है। हम संकट और इतिहास के एक नए चरण के मुहाने पर हैं। यह कोई नया "शीत युद्ध" नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक खतरनाक किसी चीज़ का अग्रदूत है। पुतिन ने पहले ही पश्चिम को याद दिलाया है कि रूस एक परमाणु शक्ति है और आक्रमण के पहले ही दिन वह गुर्राया कि हस्तक्षेप के किसी भी पश्चिमी प्रयास का परिणाम इतना बुरा होगा "जैसा दुनिया ने कभी देखा नहीं " होगा।

यूक्रेन में संकट साम्राज्यवादी लाइन-अप के सुदृढ़ीकरण को भी रेखांकित करता है जो 2020 से तेजी से चल रहा है। इस संकट में अमेरिका यूरोप को (अनिच्छा से सही ) अपनी लाइन पर चलने के लिए मजबूर करने में सक्षम है। जर्मनी की यह घोषणा कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 को लाइसेंस नहीं दिया जाएगा अमेरिका के लिए एक जीत है । दूसरी ओर चीन और रूस ने व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और रूस चीन का मुख्य ईंधन सप्लायर है। गौरतलब है कि रूस-चीन व्यापार अब 89% यूरो में है डॉलर में नहीं, यह उन पर अमेरिकी प्रभावन क्षमता के लिए एक झटका। यह आर्थिक विलगाव अधिक प्रतिद्वंद्विता का मार्ग प्रशस्त करता है। 2020 में रूस और चीन पहली बार संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास में शामिल हुए जो जापान के करीबी अधिकतर पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में फैला था । एक व्यापक साम्राज्यवादी युद्ध के लिए मंच तैयार किया जा रहा है जो मानवता के भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन से भी बड़ा खतरा है।

मज़दूर रसातल में इस छलांग को कैसे रोक सकते हैं? अकेले प्रदर्शनों से नहीं, रूस में अनेक "युद्ध नहीं" प्रदर्शनकारियों की बहादुरी के बावजूद। इराक में युद्ध के खिलाफ 2003 का प्रदर्शन ब्रिटेन के इतिहास में सबसे बड़ा था, लेकिन युद्ध उसी तरह आगे बढ़ा। कम से कम वे दिखाते हैं कि लाखों लोगों ने आधिकारिक झूठ को स्वीकार नहीं किया था । हमें एक ऐसा आंदोलन करना होगा जो राज्य की सत्ता को कमजोर करने के लिए हड़ताल की कार्रवाई के लिए लाखों लोगों को प्रेरित कर सके। यह जल्द ही नहीं होगा लेकिन लगातार पूंजीवादी संकट का मतलब है हर जगह श्रमिकों के लिए और अधिक दुख। इस गिरावट के खिलाफ लड़ने के लिए एक ऐसे आंदोलन को जन्म देना होगा जो यह मानता है कि हम सर्वश्रेष्ठ संभव दुनिया में नहीं बल्कि एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो आज दरिद्रता और कल साम्राज्यवादी युद्ध प्रदान करती है। पहले ही ईरान से लेकर अमेरिका तक दुनिया भर के मज़दूर संघर्ष और समन्वय के स्वतंत्र रूपों के लिए अपना रास्ता खोजने लगे हैं। यह एक शुरुआत है। हालांकि जरूरत है पूंजीवाद विरोधी एक राजनीतिक दिशा की जो उन मजदूरों को एकजुट और संगठित करती है जो यह देख सकते हैं कि पूंजीवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बरबाद हो गया है। यह जल्दी नहीं होगा, और इसे कई बाधाओं का सामना करना पड़ेगा , लेकिन दशकों से चले आ रहे पूंजीवादी संकट का कोई समाधान नहीं है। दुनिया भर में केवल मजदूर वर्ग ही राज्यों, राष्ट्रवाद, शोषण और युद्ध से मुक्त एक वैकल्पिक समाज का निर्माण कर सकता है।

युद्ध नहीं बल्कि वर्ग युद्ध! जीतने के लिए है एक दुनिया!

25 फरवरी, 2022

Thursday, March 3, 2022
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